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ALAPPUZHA: इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस को मिलेगी 'हार और जीत' दोनों! ये मुश्किल गणित जानें...

ALAPPUZHA: तिरुवनन्तपुरम। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के 39 उम्मीदवारों की (ALAPPUZHA) पहली सूची घोषित हो गई है। इस लिस्ट में एक नाम कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल का है। कांग्रेस ने उन्हें केरल की अलाप्पुझा सीट से मैदान में उतारा...
07:55 PM Mar 09, 2024 IST | Bodhayan Sharma

ALAPPUZHA: तिरुवनन्तपुरम। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के 39 उम्मीदवारों की (ALAPPUZHA) पहली सूची घोषित हो गई है। इस लिस्ट में एक नाम कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल का है। कांग्रेस ने उन्हें केरल की अलाप्पुझा सीट से मैदान में उतारा है। लेकिन उनकी उम्मीदवारी के बाद कांग्रेस में 'जीत और हार' दोनों एक साथ नजर आ रही हैं। आइये जानते हैं कि आखिर इस नाम का मामला क्या है जिसमें कांग्रेस जीत कर भी हार जायेगी! बीजेपी ने अलाप्पुझा सीट पर फायरब्रांड महिला नेता और राज्य उपाध्यक्ष शोभा सुरेंद्रन को मैदान में उतारा है।

वेणुगोपाल की हार जीत पर कैसे अटकी बात?

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए 39 उम्मीदवारों की सूची की घोषणा कर (ALAPPUZHA) दी है। इसमें राहुल गांधी, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कई वरिष्ठ नेताओं के नाम शामिल हैं। इस सूची में कांग्रेस ने केरल से भी उम्मीदवारों की घोषणा की है। पार्टी ने अपने महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल को अलाप्पुझा संसदीय सीट से टिकट दिया है। ऐसे में अगर कांग्रेस उम्मीदवार वेणुगोपाल लोकसभा चुनाव जीतते हैं तो इससे कांग्रेस को ही नुकसान होगा। वेणुगोपाल की जीत का मतलब होगा कि कांग्रेस भाजपा के हाथों एक राज्यसभा सीट खो देगी। वजह ये है कि वेणुगोपाल फिलहाल राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं। ऐसे में लोकसभा जीतने के बाद उन्हें राज्यसभा सीट खाली करनी होगी।

जीत के बाद कांग्रेस को कैसे होगा नुकसान?

अलप्पुझा लोकसभा सीट जीतने के बाद के.सी. अगर वेणुगोपाल राज्यसभा (ALAPPUZHA) छोड़ते हैं तो उपचुनाव होगा। उपचुनाव की स्थिति में कांग्रेस के पास विधानसभा में अपने उम्मीदवार को वापस जिताने के लिए संख्या बल नहीं है। गौरतलब है कि 2019 में केरल में अलाप्पुझा सीट से कांग्रेस को वेणुगोपाल को खोना पड़ा था। पार्टी द्वारा हारी गई एकमात्र सीट वापस पाने के लिए वेणुगोपाल को फिर से मैदान में उतारा गया है। हालांकि, दूसरी तरफ इस फैसले को 2026 के विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर कांग्रेस 2026 में विधानसभा चुनाव जीतती है तो वेणुगोपाल मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे हो सकते हैं।

समीकरण संतुलित करने के लिए मैदान में उतरे वेणुगोपाल?

केरल में जाति और धर्म के समीकरण को संतुलित करने के लिए पार्टी ने कुछ बदलाव (ALAPPUZHA) करते हुए वेणुगोपाल को टिकट दिया है। जिसमें वडकारा के सांसद के. मुरलीधरन को त्रिशूर से टिकट दिया गया है। टीएन प्रशासन को वहां से हटा दिया गया। कन्नूर में मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की योजना में बदलाव करते हुए केरल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के. सुधाकरन को वहां से टिकट दिया गया है।

क्या है अलाप्पुझा सीट का चुनावी गणित?

अलाप्पुझा को केरल और पूर्व के वेनिस का एक महत्वपूर्ण पर्यटन (ALAPPUZHA) स्थल माना जाता है। यह सर्वाधिक साक्षर जिलों में केरल में तीसरे स्थान पर है। अलाप्पुझा लोकसभा सीट की साक्षरता दर 86.79 प्रतिशत है। अलाप्पुझा वर्षों से कांग्रेस का गढ़ रहा है। अलाप्पुझा लोकसभा में 7 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। जिनमें से 4 सीटें सीपीएम, 2 सीटें कांग्रेस और 1 सीट भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पास है। विधानसभा की गणना के मुताबिक, 2021 के चुनाव में यहां से कांग्रेस उम्मीदवारों को कुल 44.2 फीसदी, सीपीएम को 25.6 फीसदी, सीपीआई को 18.5 फीसदी और बीजेपी को 6.6 फीसदी वोट मिले। 2019 के चुनाव में अलाप्पुझा से सीपीएम के ए.एम. आरिफ ने 4,43,003 वोट हासिल कर चुनाव जीता।

सीट का इतिहास-
कौन हैं शोभा सुरेंद्रन?

अलाप्पुझा सीट से बीजेपी उम्मीदवार शोभा सुरेंद्रन एक तेजतर्रार महिला (ALAPPUZHA) नेता के रूप में जानी जाती हैं। वह प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष हैं। इससे पहले वह विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन हार का स्वाद नहीं चख सके। 2013 में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य बने। 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन तीसरे स्थान पर रहे। 2019 में उन्होंने एटिंगल सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। हालांकि शोभा सुरेंद्रन की कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पकड़ है।

कौन हैं के.सी. वेणुगोपाल?

कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद हैं के.सी. वेणुगोपाल (वेणुगोपाल)। छात्र आंदोलन से राजनीति में आए केसी वेणुगोपाल (ALAPPUZHA) अब कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक माने जाते हैं। 1996 के बाद वह केरल विधानसभा में तीन बार विधायक चुने गये। वह 2004 में कैबिनेट मंत्री भी रहे। वह केरल विद्यार्थी संघ और युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। 2009 में पहली बार अलाप्पुझा सीट से सांसद चुने गए। 2012 में वह केंद्र में राज्य मंत्री बने। 2014 में वह दोबारा सांसद बने। हालांकि, उन्होंने 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। उनके चुनाव नहीं लड़ने के कारण कांग्रेस अलाप्पुझा सीट हार गई। अब कांग्रेस ने इस सीट को दोबारा हासिल करने के लिए उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है।

अलाप्पुझा सीट की गिनती

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